Thursday, June 5, 2014

मेहंदी रची जोरकी पिवजी पण थ्हारे बिन किसको दिखाऊ हिवड़ो है उदास थ्हारे बिन पण कब तक इसको समझाऊ rajasthani shayri,marwadi shayri,hindi shayri

मेहंदी रची जोरकी पिवजी पण थ्हारे बिन किसको दिखाऊ
हिवड़ो है उदास थ्हारे बिन पण कब तक इसको समझाऊ
दिन तो गुजर जावै है काम काज म पण रात कैसे बिताऊ
कदै तो समझो पिवजी बात म्हारे मन की कद तक थ्हाने समझाऊ

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