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तारा छाई रात पीवजी मनडो हो रह्यो है उदास तरसे है हिवडो म्हारो बरसे म्हारी आंख,rajasthani shayri,marwadi shayri,hindi shayri
तारा छाई रात पीवजी मनडो हो रह्यो है उदासतरसे है हिवडो म्हारो बरसे म्हारी आंखसपना म क्यु तरसाओ आ जाओ म्हारे पासकई दिन हो गया पिया जी देख्या थान् अब तो दर्शन दो पिवजी बुझाओ म्हारी आंख्या री प्यास
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