Sunday, April 5, 2015

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सुबह शाम मंदिर में जाऊ पिवजी जोडू दोनूं हाथ
सुन ले सांवरिया अर्ज मेरी करवा दे म्हारो मिलाप
झुर झुर रोऊँ पियाजी जद याद आवै थारो साथ
नैणा बरसे नीर 'बुलिया' हिवड़ो करे विलाप
दिन तो कट जावै पिवजी पण तड़फु सारी रात
ना जाणे कद आवसी "बुलिया"खुशियां वाली रात
मिल बैठ बतलास्या अपने मनड़े री बात

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