Saturday, April 11, 2015

new rajasthani shayari new marwadi shayari new rajasthani songs

छाछ-राबड़ी, कांदो-रोटी, ई धरती को खाज।
झोटा देवै नीम हवा का, तीजण कर री नाज।।
पकी निमोली लुल झाला दे, नीम चढ़डी इठलावै।
मन चालै मोट्यारां का, जद टाबर गिटकू खावै।।
लूआ चालै भदै काकड़ी, सांगर निपजै जांटी।
कैर-फोगलो बिकै बजारां, वाह मरुधरा री माटी
रांभै गाय तुड़ावै बाछो, छतरी ताणै मोर।
गुट्टर-गूं कर चुगै कबूतर, बिखरै दाणा भोर।।
झग्गर झोटा दे' र धिराणी, बेल्यां दही बिलोवै।
फोई खातर टाबर-टोली काड हथेली जोवै।।
टीबां ऊपर लोट-पलेटा, अंग सुहावै माटी।
ल्हूर घालरी कामण गार्यां, वाह मरुधरा री माटी ।
रोही को राजा रोहीड़ो, चटकीलै रंग फूल।
मस्तक करै मींझर की सोरम, लुलै नीमड़ा झूल।।
गुड़-गुड़ करतो हुक्को घूमै, घणी सुहाणी रातां।
सीधा सादा लोग मुलकता, भोली भोली बातां।।
Copied

2 comments: