Saturday, August 24, 2013

देशद्रोहियों की काली कमाई कितनी है ,,,,,,,,,

वाशिंगटन. आठ साल में भारत से 125 अरब डॉलर (करीब 58 खरब रुपए ) की ‘काली कमाई’ विदेशों में पहुंचा दी गई। वाशिंगटन स्थित एक संगठन ने अध्ययन के बाद यह आंकड़े जारी किए हैं। 2000 से 2008 की अवधि में भारत से बाहर भेजी गई इस राशि के बारे में विस्तृत रिपोर्ट इस वर्ष के अंत में जारी की जाएगी।
‘ग्लोबल फाइनेंशियल इंटेग्रिटी’ नामक संगठन के अर्थशास्त्री कार्ले कर्सियो ने संगठन की वेबसाइट पर अपने ब्लॉग में इसका खुलासा किया है। उन्होंने लिखा है कि भारत में भ्रष्टाचार और अंडरग्राउंड अर्थव्यवस्था बढ़ रही है। लिहाजा, अवैध धन का देश से प्रवाह भी तेजी से बढ़ रहा है।
गरीब ही रहे गरीब : कर्सियो ने यह लिखा है कि 2004 से 2009 के बीच भारत की आर्थिक विकास दर औसतन आठ फीसदी से ज्यादा रही, लेकिन गरीबों को इसका ज्यादा लाभ नहीं मिला। गरीबों की मदद के लिए खर्च की जाने वाली रकम को राजनेता और अफसर डकार गए। इसमें कापरेरेट अफसर भी शामिल हैं। नतीजा यह हुआ कि गरीब पहले की तरह गरीब ही रहे।आय की असमानता बढ़ी : भारत में 2000-2005 की अवधि में आय की असमानता बढ़ गई। शून्य से एक के पैमाने पर 2000 में यह आंकड़ा जहां 0.32 था, वहीं 2005 में यह बढ़ कर 0.37 हो गया। एक को सबसे ज्यादा आय असमानता वाला आंकड़ा माना जाता है।
अजीब संयोग : कर्सियो का कहना है कि अर्थव्यवस्था के विकास और अवैध धन के निकास के बीच परस्पर संबंध है। इसकी वजह यह है कि जब तंत्र में ज्यादा धन होता है तो उसे चुराने के मौके भी ज्यादा होते हैं। ऐसे में राजनेताओं और अफसरों का लालच बढ़ता जाता है।
आखिर समस्या क्या?
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के भ्रष्टाचार सूचकांक (2009) में भारत 84 वें स्थान पर रहा था। कर्सियो का मत है कि देश में आज भी भ्रष्ट लोगों पर नजर रखने और उन पर मुकदमा चलाने के स्वतंत्र और निष्पक्ष संस्थान विकसित नहीं हो पाए हैं। इसका नतीजा यह होगा कि आर्थिक विकास का लाभ जरूरतमंदों तक शायद कभी नहीं पहुंच पाएगा।

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