क्या हम आजाद है
राम राम सा भाइयो और बहनों देश को आजाद ६३ साल हो गए, लेकिन क्या हम
आजाद है , आजकल तो ये लग रहा है धीरे धीरे हम गुलाम होते जा रहे है आज के
राजनेता, पुलिसअधिकारी ,डोक्टर , इंजीनियर , सब घुस खोर होते जा रहे
है अक तरफ गरीब मरीज इलाज के लिए मर जाता है डोक्टर पैसा की मांग करता रहता
है गरीब पैसा नहीं दे पाता है , मर जाता है । कहने को सरकारी अस्पताल है
,लेकिन वहाँ तो इलाज करवाना तो दूर रुकना भी मुस्किल हो जाता है , गंदगी
इतनी होती है अब देखो अजमेर सरकारी डेयरी का एक मनेजर के पास सात करोर
की सम्पति मिली है और पता नहीं दुसरो के नाम कितनी है , वो पैसा किसका है
,आम जनता का ही है ,लेकिन जनता क्या करे आज तक किसी भी ऐसे नेता को सजा
नहीं मिली ,झारखंड का पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोरा के पास तो हजारो करोरो
के सम्पति है लेकिन उसका क्या हुआ कुछ नहीं ,सब के सब बेईमान है महगाई की
बात तो क्या बोलू आप सब भी परेसान है पर क्या कर सकते है आज भी भारतीय
खाद्य निगम की गोदामों में लाखो टन गेंहू ख़राब हो रहा है लेकिन अपना
क्रषि मंत्री तो बोल रहा है ये मिडिया का खेल है अनाज सब ठीक है लेकिन
जनता अंधी तो नहीं है सब देख रही है भारतीय खाद्य निगम अपने गोदाम पेप्सी
को किराये पर दे रहा है और गरीब जनता का गेंहू खुले आसमान के निचे खराब हो
रहा है , लेकिन कब तक .........कब तक हम बर्दास्त करेंगे कोमनवेल्थ खेलो के
नाम क्या हो रहा है , एक तरफ देश की जनता भूखी मर रही है वही करोरो रुपये
बेकार किये जा रहे है इतने पैसे से कोए कारखाना बनाते तो देश के कितने
युवको को रोजगार मिलता ,लेकिन नेता लोंगो तो पैसा खाने का कोए भी बहाना
मिलना चाहिए ,और गरीबो का खून चूसते रहते है , फिर बोलते है नक्सली मोअवादी
देश द्रोही है ,आदमी भूख मरता क्या नहीं करता ,धीरे धीरे मरना से तो ठीक
है एक दिन ही मर जाये ,जिन्दगी सब को प्यारी होती है कोए बिना मोंत कोए
नहीं मरना नहीं चाहता , मज़बूरी में हथिहार उठाना परता है , ये सब देखने और
समझने से तो ये लग रहा है की हम फिर गुलाम होते जा रहे है एक बार फिर
जरुरत है उन वीरो की जिसने देश को आजाद करवाया था हमें इंतजार है आपकी राय
का
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