Wednesday, April 20, 2016

सज-धज बैठी गोरड़ी, कर सोल्हा सिणगार । त र सै घट रो मोर मन, सोच -सोच भरतार ।| नैण कटारी हिरणी, बाजूबंद री लूम । पतली कमर में खणक रही, झालर झम-झम झूम ।| माथे सोहे राखड़ी, दमके ज्यों रोहिड़ा रो फूल। कानां बाटा झूल रह्या , सिर सोहे शीशफूल। || झीणी-झीणी ओढ़णी,पायल खणका दार । बलखाती चोटी कमर, गर्दन सुराहीदार || पण पिया बिना न हो सके पूरण यो सिणगार | पधारोला कद मारुसा , था बिन अधूरी नार ।| सखी- साथिन में ना आवडे., ना भावे कोई कोर । सासरिये में भी ना लगे, यो मन अलबेलो चोर || अपणो दुःख किण सूं कहूँ , कुण जाण म्हारी पीर । अरज सुण नै बेगा आवो, छोट की नणंद का बीर || मरवण था बिन सुख गयी, पिला पड़ ग्याँ गात । दिन तो फेर भी बितज्या, या साल्ल बेरण रात ।

सज-धज बैठी गोरड़ी, कर सोल्हा सिणगार ।
त र सै घट रो मोर मन, सोच -सोच भरतार ।|
नैण कटारी हिरणी, बाजूबंद री लूम ।
पतली कमर में खणक रही, झालर झम-झम झूम ।|
माथे सोहे राखड़ी, दमके ज्यों रोहिड़ा रो फूल।
कानां बाटा झूल रह्या , सिर सोहे शीशफूल। ||
झीणी-झीणी ओढ़णी,पायल खणका दार ।
बलखाती चोटी कमर, गर्दन सुराहीदार ||
पण पिया बिना न हो सके पूरण यो सिणगार |
पधारोला कद मारुसा , था बिन अधूरी नार ।|
सखी- साथिन में ना आवडे., ना भावे कोई कोर ।
सासरिये में भी ना लगे, यो मन अलबेलो चोर ||
अपणो दुःख किण सूं कहूँ , कुण जाण म्हारी पीर ।
अरज सुण नै बेगा आवो, छोट की नणंद का बीर ||
मरवण था बिन सुख गयी, पिला पड़ ग्याँ गात ।
दिन तो फेर भी बितज्या, या साल्ल बेरण रात ।


तन्हाई में जी रही हूँ आपकी याद में आंसू बहा रही हूँ कब आवोगे पिया जी आपका इंतजार कर रही हूँ

तन्हाई में जी रही हूँ आपकी याद में आंसू बहा रही हूँ
कब आवोगे पिया जी आपका इंतजार कर रही हूँ


माना की कुछ दिलो में नफरत होती है पर हर दिल में कोई हसरत होती है इंसान उस के आगे क्यों मजबूर हो जाता है जिस से उसे बेपनाह महोब्बत होती है

माना की कुछ दिलो में नफरत होती है
पर हर दिल में कोई हसरत होती है
इंसान उस के आगे क्यों मजबूर हो जाता है
जिस से उसे बेपनाह महोब्बत होती है



न जाने किस गली में ... तू खड़ी है ... एक सुबह बन कर... न जाने किस मोड़ पर ... इंतज़ार खड़ी है ... एक शाम बन कर ... न जाने किस आसमां में... चाँद खिला है ... एक ज़िंदगी बन कर ... न जाने किस शहर में... हम भटके हुए हैं ... एक मुसाफिर बन कर ...

न जाने किस गली में ...
तू खड़ी है ...
एक सुबह बन कर... 
न जाने किस मोड़ पर ...
इंतज़ार खड़ी है ...
एक शाम बन कर ...
न जाने किस आसमां में...
चाँद खिला है ...
एक ज़िंदगी बन कर ...
न जाने किस शहर में...
हम भटके हुए हैं ...
एक मुसाफिर बन कर ...


दिल टूट जाता है पर खनक नही होती हर धडकन रोती है पर पलक नही रोती मोहबत नाम है खुदा की बंदगी का जो शरतो मे मिले वो मोहबत नही होती.

दिल टूट जाता है पर खनक नही होती
हर धडकन रोती है पर पलक नही रोती
मोहबत नाम है खुदा की बंदगी का
जो शरतो मे मिले वो मोहबत नही होती.



जद याद आवै ढोला थारी मीठी मीठी बतिया नींद कोनी आवै जी कैसै कटे रतिया जद याद आवै ढोला थारी मीठी मीठी बतिया हिवडो रोवै म्हारो छलक जावै म्हारी अँखिया ....

जद याद आवै ढोला थारी मीठी मीठी बतिया
नींद कोनी आवै जी कैसै कटे रतिया
जद याद आवै ढोला थारी मीठी मीठी बतिया
हिवडो रोवै म्हारो छलक जावै म्हारी अँखिया ....