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न जाने किस गली में ... तू खड़ी है ... एक सुबह बन कर... न जाने किस मोड़ पर ... इंतज़ार खड़ी है ... एक शाम बन कर ... न जाने किस आसमां में... चाँद खिला है ... एक ज़िंदगी बन कर ... न जाने किस शहर में... हम भटके हुए हैं ... एक मुसाफिर बन कर ...
न जाने किस गली में ...तू खड़ी है ...एक सुबह बन कर... न जाने किस मोड़ पर ...इंतज़ार खड़ी है ...
एक शाम बन कर ...
न जाने किस आसमां में...
चाँद खिला है ...
एक ज़िंदगी बन कर ...
न जाने किस शहर में...
हम भटके हुए हैं ...
एक मुसाफिर बन कर ...
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