Saturday, May 9, 2015

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वो मेहँदी वाले हाथ आपके कातिल थी मुस्कान आपकी
रंग रूप मनभवणो मस्त थी चुड़ले की खनक आपकी
महर कुदरत की आप पर बात छु गई दिल को आपकी
मर गयो छोरो थारे पर हरदम आवै याद आपकी

Wednesday, April 29, 2015

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झुकी रहने वाली नजरे आज क्यों सवाल पूछ रही है
पूज्नीय नारी आज क्यों भरे बाजार में लुट रही है
दोष दे रहे है हम आज बेशर्म जमाने को
पर अपनी गिरेहबान में झांकने की फुर्सत नहीं है