Wednesday, April 29, 2015

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झुकी रहने वाली नजरे आज क्यों सवाल पूछ रही है
पूज्नीय नारी आज क्यों भरे बाजार में लुट रही है
दोष दे रहे है हम आज बेशर्म जमाने को
पर अपनी गिरेहबान में झांकने की फुर्सत नहीं है

Saturday, April 11, 2015

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इंतजार कर रही अंखिया देखण ऐसो नजारो
झीम-झीम पडे फुहार ठंडो चालै बायरो
कोनी सही जायै गर्मी सुरज देवता
बरस जावो ईन्दर् देवता सुन ल्यो हेलो म्हारो.......