Sunday, August 23, 2015

Rajasthani new shayri marwadi shayri rajasthani sad shayri hindi sad shayri

सावणियो सुरंगों बीत गयो फीको रह गया पिवजी तीज रो त्यौहार
झिरमीर झिरमिर मेंहो बरसे पिवजी चाले ठंडी पवन बहार
हूक सी उठे कालजीए जीवडो तड़फे पिवजी नैणां बरसे नीर
कदे तो सोच ले बैरी बालमा घर उडीके थारी घर नार