कब तक बाट जोहती रहूँ साहिबजी अब तो आ गयो होली रो त्यौहार
रंगा रो त्यौहार होली पिवजी फीको पडतो जाय म्हारो सिणगार
तरसे है नैण देखण थान कदे तो बरसाओ साहिब जी फागण में सतरंगी प्यार
अबके तो आवज्यो होली न निरखण गोरी रो सिणगार
रंग रंगीली नार कर रही है इंतजार
आ जाओ पिवजी आयो है रंगा रो त्यौहार
मीठी मीठी बाता करस्यु सुनास्यु फाग मल्हार
फीको जावे फागणियो पिवजी तरसे है थारी घर नार